लेखनी कविता - भारी कहौं तो बहु डरौं, हलका कहूं तौ झूठ

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भारी कहौं तो बहु डरौं, हलका कहूं तौ झूठ । मैं का जाणौं राम कूं, नैनूं कबहूँ न दीठ ॥1॥ भावार्थ - अपने राम को मैं यदि भारी कहता हूँ, तो ...

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